Hindi Poem By Ankush Kr Mishra
मैं हमेशा बोलता रहता हूं!
बोलता हीं रहता हूं!
किसी को अच्छा लगता हूं!
किसी को बुरा लगता हूं!
जैसा भी लगता हूं बोलता हीं रहता हूं!
लेकिन!
कभी कभी बोलते बोलते चुप हो जाता हूं!
थोड़ा सहम सा जाता हूं, डर सा जाता हूं!
फिर इस दिल को कुछ यूं समझाता हूं!
इस दुनिया की रीत से भयभीत हो जाता हूं!
फिर पता चलता है कि ये स्वार्थ भूमि है, कलयुग सुनी है।
देखते हीं देखते दुनिया भूल जाता हूं!
कभी चुप हो जाता हूं, चुप हीं हो जाता हूं!!
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